शिष्टाचार के नियम, शिष्टाचार (Etiquette) की बातें, Etiquette rules in life
शिष्टाचार के बिना हम कभी पूर्ण नहीं हो सकते । शिष्टाचार अर्थात
विनम्रता और शालीनता का आचरण, जीवन का महत्वपूर्ण अंग है ।
इसीलिए हमेशा बड़ो को आदर सम्मान और छोटों को प्यार दीजिये ।
हमारा कर्तव्य है कि हम छोटी उम्र से ही बच्चों को शिष्टाचार का ज्ञान करायें,
जिसका क्रम बच्चे की 1-2 वर्ष की आयु से आरंभ हो ।
1-2 वर्ष के बच्चों के लिए
1-2 वर्ष के बच्चों को जबकि वह बोलना सीखना आरंभ करते हैं, तब उन्हें
प्नणाम, नमस्ते, अलविदा को दर्शाने वाले शब्द सिखायें ।
अंग्रेजी में आप Hi, Hello, Good bye आदि का अभ्यास करा सकते हैं ।
2-3 वर्ष से अधिक आयु वाले बच्चों के लिए शिष्टाचार के नियम
बच्चों के लिए बोलचाल शिष्टाचार
- अक्सर घर में मेहमान आने पर बच्चे अपने काम या खेल में व्यस्त रहते हैं,
उन्हें यह सिखाएं कि जब भी घर पर कोई मिलने आए, तो उनसे मुस्कुराकर
‘नमस्ते’ से उनका अभिवादन करें । - आजकल घर आनेवाले ज़्यादातर मेहमान छोटे बच्चों से भी
हैंडशेक करना पसंद करते हैं, इसलिए आपके बच्चे को हैंडशेक करना आना चाहिए । - हैंडशेक के बाद बच्चे से ‘नाइस टू मीट यू’ या ‘आपसे मिलकर ख़ुशी हुई’
अवश्य कहलवायें ।आपके द्वारा दिए गए अच्छे संस्कारों की वे
प्रशंसा किए बगैर नहीं रह पाएंगे । - बच्चों को समझाएं कि वे जब मेहमान या कोई व्यक्ति उनको संबोधित
करके कोई बात कह रहा हो तो उसे ध्यान से सुनें और उसमें रुचि दिखाएं ।
यह उनके प्रति आदर दिखाने का एक तरीक़ा है । - कुछ बच्चे घर में तो ख़ूब बोलते हैं, लेकिन रिश्तेदारों के सामने
एकदम चुप्पी साध लेते हैं, जो ठीक नहीं है. इसलिए बच्चों को सिखाएं कि
जब भी कोई उनसे पूछे “बेटा कैसे हो?” तो मुस्कुराकर जवाब दें. साथ ही उनसे भी पूछें कि वे कैसे हैं?
बच्चों के लिए शिष्टाचार के नियम – सामाजिक शिष्टाचार
- ‘प्लीज़’ और ‘थैंक यू’ कहने में भले ही दो छोटे लफ़्ज़ हैं, पर
ये आपके अच्छे संस्कार दर्शाते हैं. बच्चों को बचपन से ही यह सिखाएं कि
जब भी किसी से कुछ मांगें तो ‘प्लीज़’ और जब भी कोई उन्हें
कुछ दे, तो ‘थैंक यू’ ज़रूर कहें । - बच्चों को यह सिखाना बहुत ज़रूरी है कि जब भी बड़े लोग आपस में बातें कर रहे हों, तो
वे बीच में न बोलें। - उन्हें बचपन से ही सिखाएं कि जब भी छींक या खांसी आ रही हो, तो
अपने मुंह पर हाथ या रूमाल रखें. सबके सामने नाक या मुंह में उंगली ना डालें । - शिष्टाचार सिखाते व़क्त यह भी ध्यान रखें कि आप जो बातें बच्चों को सिखा रहे हैं,
उन्हें पहले ख़ुद अमल में लाएं, क्योंकि बच्चे देखकर जल्दी सीखते हैं ।
बच्चों के लिए – खानपान शिष्टाचार
- बच्चों को खाना छोटे-छोटे कौर लेकर धीरे-धीरे चबाकर खाने के लिए कहें.
ध्यान रखें कि खाना खाते समय चबाने की आवाज़ न आए और न ही
खाना खाते समय वो बात करें । - यदि बच्चे की पसंदवाली खाने की चीज़ें नहीं हैं, तो बच्चे को समझाएं कि उसका इश्यू न बनाए ।
- बात करने के तरीके: भगवान से : दोनों हाथ जोड़ के,गुरुदेव से : नजर झुका के..माँ से : खुलकर.. पिता से : आदर से..भाई से : दिल खोल कर..बहन से : प्यार से..बच्चों से : लाड-दुलार से…दोस्तों से : “हँसी-मजाक से..
बड़ों के लिए शिष्टाचार के नियम –
मोबाइल, सोशल साईट्स का उपयोग
- आप अपने कार्यालय में बिना किसी की परवाह किए अपने मोबाइल पर
तेज स्वर में बात करते हैं अथवा मोबाइल पर किसी से वाद विवाद करने लगते हैं
आपका यह कृत्य अपने सहकर्मियों के बीच आपकी छवि खराब करता है । - अपने निजी फोन, ईमेल्स का इस्तेमाल कार्यालय मेंअवश्य करें,
लेकिन उतना ही, जितना आवश्यक हो। - कार्यालय में हमेशा निजी फोन पर व्यस्त रहना न सिर्फ शिष्टाचार के नियमों के खिलाफ है बल्कि इससे कार्यक्षमता भी घटती है।
- किसी के सामने मौजूद रहने के दौरान यदि आप अपने मोबाइल पर, सोशल साईट्स पर
लाईक्स करने या मैसेजिंग करने मे व्यस्त रहते हैं तो यह बेड एटीकेट्स के अंतर्गत आता है ।
कार्यालय में सहकर्मियों से व्यवहार
- ऑफिस में भी सहकर्मियों से हाथ मिलाने, उन्हें शुभकामना देने,
किसी नए व्यक्ति के आने पर उसका परिचय अन्य लोगों से कराने और
उसे कार्य संबंधी जरूरी बातें बताने जैसी बातें शिष्टाचार के तहत आती हैं। - अपने महंगे परफ्यूम्स या डियो को सामाजिक आयोजनों के लिए रखें। इनको कार्यालय में
यूज करके न जायें । यह किसी को इलर्जेटिक हो सकती है, परेशानी में डाल सकती है । - सराहना के कुछ शब्द किसी को प्रोत्साहित करने और आपके प्रति
अच्छा महसूस करने को बढावा देंगे। अत: अपने अधीनस्थों की समय समय पर
उनके अच्छे कार्य के लिए सराहना अवश्य करें ।
अन्य
- ऑफिस में आपके परिधान भी शिष्टाचार को दर्शाते हैं। कार्य के अनुरूप ऐसी ड्रेस पहनें,
जो शालीन हो न कि भड़काऊ किस्म की। - आपके ऑफिस में बिखरी हुई चीजें, आपके अव्यवस्थित होने का प्रमाण देती हैं । अपनी मेज और आसपास की चीजों को व्यवस्थित करके रखें ।
- कभी किसी को ज्यादा देर के लिए प्रतीक्षारत न रखें। यदि आप आवश्यक
विचार विमर्श में व्यस्त हैं और किसी का अपॉइंटमेंट निर्धारित है तो उसे अवश्य
इसकी सूचना दे दें। - जहां रोज कस्टमर या क्लाइंट से मिलना जुलना पड़ता हो तो जरूरी है कि विपरीत स्थिति में भी सहज और स्वाभाविक सकारात्मक मुस्कान के साथ बातचीत करें।
- यदि आप महिला हैं, तो आप ऑफिस में गहरे मेकअप से बचें। प्रयास करें कि व्यक्तित्व या बॉडी लैंग्वेज से दूसरों को गलत संदेश न जाए।
- अपने आसपास किसी की असुविधा का ध्यान अवश्य रखें ।
शिष्टाचार स्टेटस
प्राचीन कवि भर्तहरि ने कहा है :
केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला:।
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालङ्कृता मूर्धजा:।
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते।
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम्॥
अर्थात – न बाज़ूबन्द से, न चन्द्रमा समान उज्ज्वल हार से,
न स्नान से, न सुगन्धित पदार्थों के विलेपन से,
न फूलों से न अलंकृत केशों से,
पुरुष की शोभा तो सुसंस्कृत वाणी से है।
आभूषणों की चमक तो मन्द पड़ जाती है परन्तु
सन्तुलित वाणी की गरिमा सतत रहती है।
शिष्टाचार कहता है कि,
किसी स्त्री से उसकी आयु,
और किसी पुरूष से उसकी आय
नहीं पूछनी चाहिये,
इसके पीछे शायद एक खूबसूरत बात छिपी हुई है कि,
कोई भी स्त्री अपने लिये नहीं जीती,
और कोई भी पुरूष अपने लिये नहीं कमाता ।
शिष्टाचार आपको वहाँ ले जायेगा,
जहाँ धन नहीं ले जा पायेगा ।
एक युग था लोग घर के दरवाजे पर लिखते थे
अतिथि देवो भव
फिर लिखा शुभ-लाभ फिर लिखा स्वागतम
और अब लिखते हैं कुत्ते से सावधान ।