प्रेरक प्रसंग

कुछ रह गया क्या …..?

0
(0)

जीने का मकसद : हिन्दी शार्ट स्टोरी कहानी, प्रेरक प्रसंग, लघु कथा

कुछ रह तो नहीं गया? “अरे सब सामान ले लिया क्या?
बस में किसी का कुछ रह तो नहीं गया?
“जी सर, सब ले लिया ।”

स्कूल ट्रिप से वापिस आये सब बच्चे एक साथ चिल्लाये और बस से
उतरकर घर की तरफ दौड़ गए ।
“सर, फिर भी बस में देख लेना ।”

हेडमास्टर जी का हुकुम होते ही सर वापिस बस में गए ।
बस में नजर घुमाते ही पता चला बहुत कुछ रह गया है पीछे ।
वेफर्स, चॉकलेट के रैपर्स और कोल्ड ड्रिंक पानी की खाली बोतले पड़ी थी ।
जब तक ये भरे थे, तब तक ये अपने थे । खाली होते ही ये अपने नहीं रहे ।
जितना हो सके, सर ने कैरी बैग में भर दिया और बस से उतरने लगे,

“कुछ रह तो नहीं गया ?” हेडमास्टर के फिर से सवाल पूछने पर सर ने
हँस के नहीं का इशारा किया । पर अब सर का मन “कुछ रह तो नहीं गया?”
इस सवाल के इर्द गिर्द घूमने लगा । जिंदगी के हर मोड़ पर अलग अलग रूप में
यही सवाल परेशान करता है ।

इस सवाल की व्यापकता इतनी बड़ी होगी ये सर को अभी पता चला …
बचपन गुजरते गुजरते कुछ खेल खेलना रह तो नहीं गया? जवानी में किसी को चाहा पर
जताने की हिम्मत नहीं हुई… कुछ रह तो नहीं गया?

जीने का मकसद : हिन्दी कहानी

जिंदगी के सफ़र में चलते चलते हर मुकाम पर यही सवाल परेशान करता रहा….
कुछ रह तो नहीं गया?

3 महीने के बच्चे को दाई के पास रखकर जॉब पर जानेवाली माँ को दाई ने पूछा…
कुछ रह तो नहीं गया? पर्स, चाबी सब ले लिया ना?
अब वो कैसे हाँ कहे? पैसे के पीछे भागते भागते…
सब कुछ पाने की ख्वाहिश में वो जिसके लिये सब कुछ कर रही है ,वह ही रह गया है…..

शादी में दुल्हन को विदा करते ही शादी का हॉल खाली करते हुए दुल्हन की बुआ ने पूछा…”भैया, कुछ रह तो नहीं गया ना?
चेक करो ठीक से ।.. बाप चेक करने गया तो दुल्हन के रूम में कुछ फूल सूखे पड़े थे ।
सब कुछ तो पीछे रह गया…
25 साल जो नाम लेकर जिसको आवाज देता था लाड से…
वो नाम पीछे रह गया और उस नाम के आगे गर्व से जो नाम लगाता था
वो नाम भी पीछे रह गया अब … 
“भैया, देखा? कुछ पीछे तो नहीं रह गया?” बुआ के इस सवाल पर आँखों में आये आंसू छुपाते बाप जुबाँ से तो नहीं बोला….
पर दिल में एक ही आवाज थी… सब कुछ तो यही रह गया…

बड़ी तमन्नाओ के साथ बेटे को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा था और
वह पढ़कर वहीं सैटल हो गया , पौत्र जन्म पर बमुश्किल 3 माह का वीजा मिला था और
चलते वक्त बेटे ने प्रश्न किया सब कुछ चैक कर लिया कुछ रह तो नही गया ?
क्या जबाब देते कि अब छूटने को बचा ही क्या है …

60 वर्ष पूर्ण कर सेवानिवृत्ति की शाम पी ए ने याद दिलाया
चेक कर लें सर कुछ रह तो नही गया ?
थोडा रूका और सोचा पूरी जिन्दगी तो यहीं आने- जाने मे बीत गई ; अब और क्या रह गया होगा ।

जीने का मकसद : हिन्दी कहानी

“कुछ रह तो नहीं गया?” शमशान से लौटते वक्त किसी ने पूछा। नहीं कहते हुए वो आगे बढ़ा…
पर नजर फेर ली एक बार पीछे देखने के लिए….
पिता की चिता की सुलगती आग देखकर मन भर आया ।
भागते हुए गया , पिता के चेहरे की झलक तलाशने की असफल कोशिश की और वापिस लौट आया।

दोस्त ने पूछा… कुछ रह गया था क्या? भरी आँखों से बोला…नहीं कुछ भी नहीं रहा
अब…और जो कुछ भी रह गया है वह सदा मेरे साथ रहेगा ।

एक बार समय निकाल कर सोचें , शायद पुराना समय याद आ जाए,
आंखें भर आयें और आज को जी भर के जीने का मकसद मिल जाये…….।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Show More
Back to top button

Adblock Detected

Please turn off the Ad Blocker to visit the site.