क्रोध पर अनमोल वचन
क्रोध से भ्रम पैदा होता है,
भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है,
जब बुद्धि व्यग्र होती है,
तब तर्क नष्ट हो जाता है,
जब तर्क नष्ट होता है,
तब व्यक्ति का पतन हो जाता है ।
क्रोध और आँधी दोनों का
तूफान एक जैसा होता है
‘शांत’ होने के बाद ही पता चलता है कि
कितना ‘नुकसान’ हुआ है ।
क्रोध
मूर्खता से शुरु होता है
और पछतावे पर अंत होता है ।
स्वयं को माचिस की तीली न बनाएँ,
जो थोड़ा सा घर्षण लगते ही सुलग उठे
स्वयं को वह शांत सरोवर बनाएँ जिसमें
कोई अंगारा भी फैंके तो वह खुद ही बुझ जाए ।
मनुष्य सुबह से शाम तक
काम करके उतना नहीं थकता है
जितना क्रोध से और चिंता से
एक क्षण में थक जाता है ।
कितना अजीब दस्तूर है
दुनिया का
लोग इतनी जल्दी बात नहीं मानते
जितना जल्दी गुस्सा हो जाते हैं।
क्रोध आने पर विचारणीय बातें
- किसी की गलती को कल पर टाल दो ।
- स्वयं को मामले में अनुपस्थित समझो ।
- मौन धारण करो ।
- वह स्थान कुछ समय के लिए छोड़ दो ।
- गुस्सा क्यों आ रहा है? स्वयं से तर्क करो ।
- क्रोध के परिणामों पर विचार करो ।
संबंधों के ताले को
क्रोध के हथौड़े से नहीं
प्रेम की चाबी से खोलें
क्योंकि चाबी से खुला ताला
बार-बार काम आता है
और हथौड़े से खुला ताला
एक बार ही काम आयेगा ।
क्रोध में मनुष्य
अपने मन की बात नहीं कहता
वह केवल दूसरों का दिल
दुखाना चाहता है ।
जो मन की पीड़ा को
स्पष्ट रुप से कह नहीं पाता है
उसी को क्रोध अधिक आता है ।
पितामह भीष्म के जीवन का एक ही पाप था
कि उन्होंने समय पर क्रोध नहीं किया
और
जटायु के जीवन का एक ही पुण्य था कि
उसने समय पर क्रोध किया…
एक को बाणों की शैया मिली और
दूसरे को प्रभु श्री राम की गोद ।
अतः क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है,
जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए
और सहनशीलता भी पाप बन जाती है,
जब धर्म और मर्यादा को बचा न पाये।
गुस्सा और अहंकार
जीवन में क्रेडिट कार्ड की तरह होता है
अभी जितना उपयोग करेंगे
बाद में भुगतान ब्याज के साथ करना पड़ेगा ।
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nice quotes
धन्यवाद