भक्ति स्टेटस हिंदी में God status, Devotional Whatsapp status in Hindi, bhakti status in hindi with image, download bhakti status for facebook
मन की आँखों से प्रभु का दीदार करो;
दो पल का है अन्धेरा;
बस सुबह का इन्तजार करो;
क्या रखा है, आपस के बैर में ए यारो;
छोटी सी है ज़िंदगी बस,
हर किसी से प्यार करो ।
भगवान भक्ति विचार – कैसे परखता है मुझे मेरा ईश्वर
पता नहीं कैसे परखता है;
मुझे मेरा ईश्वर,
इम्तिहान भी मुश्किल लेता है;
और फ़ेल भी नहीं होने देता ।
ईश्वर श्रद्धा पर सुविचार – ज़माना जब भी मुश्किल में डाल देता है
ज़माना जब भी मुझे
मुश्किल में डाल देता है
मेरा रब
हजारों रास्ते निकाल देता है ।
मुझे क्या हक है
किसी को मतलबी कहूँ
मैं तो खुद अपने रब को
मुसीबतों में याद करता हूँ।
ईश्वर मेरे बिना भी ईश्वर है
मगर मैं ईश्वर के बिना कुछ भी नहीं।
प्रभु का रास्ता बड़ा सीधा है और बड़ा उलझा भी,
बुद्धि से चलो तो बहुत उलझा,
और भक्ति से चलो तो बड़ा सीधा,
विचार से चलो तो बहुत दूर,
और भाव से चलो तो बहुत पास
नजरो से देखो तो कण-कण मे,
और अंतर्मन से देखो तो जन-जन में.
धन कहता मुझे जमा कर
कैलेंडर कहता है मुझे पलट.
समय कहता है मुझे प्लान कर
भविष्य कहता है मुझे जीत.
सुंदरता कहती है मुझे प्यार कर
लेकिन
भगवान साधारण शब्दों में कहते हैं…
मुझ पर विश्वास कर ।
अपने अन्दर से कभी कम होने मत दीजिये
प्रेम के भाव को, शांति के स्वभाव को,
ईश के प्रभाव को, श्रद्धा के सद्भाव को ।
फोन के लिए बिल पर ईश्वर के लिए दिल देना पड़ता है
दुनिया से बात करने के लिये;
फोन की जरूरत होती है;
और;
प्रभु से बात करने के लिये
मौन की जरूरत होती है ।
फोन से बात करने पर;
बिल देना पड़ता है ,
और;
ईश्वर से बात करने पर;
दिल देना पड़ता है ।
हम न बोलें फिर भी सुन लेता है
हम न बोलें फिर भी वह सुन लेता है,
इसीलिये उसका नाम परमात्मा है ।
वह न बोले फिर भी हमें सुनायी दे,
उसी का नाम श्रद्धा है ।
घर से बाहर जब भी जाएँ
घर से जब भी बाहर जाये;
तो घर में विराजमान अपने प्रभु से;
जरूर मिलकर जाएँ;
और जब लौट कर आएँ तो;
उनसे जरूर मिलें क्योंकि;
उनको भी आपके घर लौटने का इंतजार रहता है ।
“घर” में यह नियम बनाइए कि
जब भी आप घर से बाहर निकले तो
घर में मंदिर के पास दो घड़ी खड़े रह कर
“प्रभु चलिए..आपको साथ में रहना है”
ऐसा बोल कर ही निकले
क्योंकि आप भले ही
लाखों की घड़ी
हाथ में क्यों न पहने हों पर
समय तो “प्रभु के ही हाथ” में हैं ।
भक्तिमय सुविचार – ऐसा क्या रिश्ता है
हे प्रभु;
न मैंने तुझको देखा,
न कभी हम मिले;
फिर ऐसा क्या रिश्ता है,
दर्द कोई भी हो;
याद तेरी ही आती है ।
भगवान पर विश्वास स्टेटस
हमारी आस्था की
सबसे बड़ी परीक्षा
तब होती है,
जब हम जो चाहें
वो न मिले और फिर भी
हमारे दिल से प्रभु के लिए
शुक्रिया ही निकले ।
‘परमात्मा’ जीवन है
‘परमात्मा’ शब्द नहीं;
जो तुम्हें पुस्तक में मिलेगा ।
‘परमात्मा’ मूर्ति नहीं;
जो तुम्हें मंदिर में मिलेगी ।
‘परमात्मा’ मनुष्य नहीं;
जाे तुम्हें समाज में मिलेगा ।
‘परमात्मा’ जीवन है;
जो तुम्हें अपने भीतर मिलेगा ।
जब आप ‘शंका’ दूर करते हैं
जब आप हमारी ‘शंका’ दूर करते हैं,
तब आप “शंकर” लगते हैं।
जब ‘मोह’ दूर करते हैं तो
“मोहन” लगते हैं।
जब ‘विष’ दूर करते हैं तो
“विष्णु ” लगते हैं।
जब ‘भ्रम’ दूर करते हैं तो
“ब्रह्मा” लगते हैं।
जब ‘दुर्गति’ दूर करते हैं तो
“दुर्गा” लगते हैं।
जब ‘गुरूर’ दूर करते हैं तो
“गुरूजी” लगते हैं।
ईश्वर खोजने से नहीं खो जाने से मिलते हैं
खोजा बहुत खुदा को
पर कहीं मिला नहीं
न मंदिर में न मस्जिद में,
न चर्च में न गुरुद्वारे में
तब किसी फ़कीर ने कहा
खुदा खोजने से नहीं
खुद को खो देने से मिलता है ।
भक्ति स्टेटस हिंदी और पढ़ें – प्रीत की डोरी टूटने न देना
“भक्ति” हाथ पैरों से नहीं होती है,
वर्ना दिव्यांग कभी नहीं कर पाते।
“भक्ति” न ही आँखों से होती है।
वर्ना सूरदास जी कभी नहीं कर पाते।
न ही भक्ति बोलने सुनने से होती है।
वर्ना “गूँगे-बहरे” कभी नहीं कर पाते।
न ही “भक्ति” धन और ताकत से होती है,
वर्ना गरीब और कमजोर कभी नहीं कर पाते ।
“भक्ति” केवल भाव से होती है,
यह एक अहसास है,
जो हृदय से होकर विचारों में आता है ।
प्रभु ने हमें बिना परेशानी के दिन का,
बिना दुख के हँसी का,
बिना बर्षा के धूप का वादा नहीं किया था
प्रभु ने वादा किया था दिन के लिए उर्जा को,
दुख के बीच सुकून का और अँधेरे के बीच रोशनी का
और वे अपना वादा निभा रहे हैं ।
भक्तिमय सुविचार – भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है
भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,
भोजन ” प्रसाद “बन जाता है ।
भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख ” व्रत ” बन जाती है ।
भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी ” चरणामृत ” बन जाता है ।
भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर ” तीर्थयात्रा ” बन जाता है ।
भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,
संगीत ” कीर्तन ” बन जाता है ।
भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर ” मन्दिर ” बन जाता है ।
भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य ” कर्म ” बन जाता है ।
भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया “सेवा ” बन जाती है ।
और…
भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति ” मानव ” बन जाता है ।
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