कदर शायरी, इज्जत, मान सम्मान, आदर, प्रतिष्ठा पर अनमोल विचार
कदर कर लो उनकी;
जो तुमसे;
बिना मतलब की चाहत रखते हैं ।
दुनिया में ख्याल रखने वाले कम;
और तकलीफ देने वाले ज्यादा होते हैं ।
कदर और वक्त भी कमाल के होते हैं
जिसकी कदर करो वो वक्त नहीं देता
और जिसको वक्त दो, वो कदर नहीं करता ।
जो लोग एक-दूसरे की कदर नहीं कर सकते हैं,
वे लोग एक-दूसरे से प्यार भी नहीं कर सकते हैं ।
लोग उस वक़्त हमारी कदर नहीं करते
जब हम अकेले हों;
बल्कि लोग उस वक़्त हमारी कदर करते हैं
जब वो अकेले हों।
जिस घर में आपकी कदर न होती हो,
वहाँ नहीं जाना चाहिए और
अगर जाना मजबूरी हो, तो
महज औपचारिकता निभानी चाहिए ।
ना तोड़ो रिश्ते थोड़ा सबर करो,
हर प्यार भरे रिश्ते की कदर करो ।
कद्र होती है इन्सान की,
ज़रुरत पड़़ने पर ही,
बिन ज़रुरत तो हीरे भी,
तिजोरी में रखे रहते हैं ।
वक्त बीत जाने के बाद
कदर की जाए तो
वो कदर नहीं, अफसोस कहलाता है ।
सोचते हैं, सीख लें हम भी
बेरुखी करना सब से,
सबको मोहब्बत देते-देते
हमने अपनी कदर खो दी है ।
एक-दूसरे की कदर कीजिये,
तभी रिश्ते निभ पाएंगे
वरना खून के रिश्ते भी,
बस नाम के रह जायेंगे ।
शिकायतें कितनी भी हो उन्हें दिल में नही रखनी चाहिए ।
माँ-बाप की सेवा और कदर पूरी जिन्दगी करनी चाहिए ।
जिनकी बदौलत आप आगे बढ़े हो,
उनकी कदर जरुर कीजिये ।
जो लोग एक-दूसरे की कदर नहीं कर सकते हैं,
वे लोग कभी भी एक-दूसरे से प्यार नहीं कर सकते हैं ।
पहले मेहमान घर आते थे तो कदर होती थी,
अब मेहमान घर आते है तो गदर होती है ।
कदर होती है जरुरत की
कदर करना सीखो उस प्यार की
जो बिना मतलब के चाहत रखते है,
दुनिया में ऐसे लोग कम मिलते है जो
प्यार का इजहार खुलेआम करते हैं ।
कदर करनी है, तो जीते जी करो,
अर्थी उठाते वक़्त तो
नफरत करने वाले भी रो पड़ते है ।
करेगा जमाना भी हमारी कदर एक दिन,
देख लेना..
बस जरा वफ़ा की बुरी आदत छूट जाने दो ।
वक्त रहते वक्त की कदर करना सीख गये, तो
तुम बहुत कुछ पाओगे
वरना बहुत कुछ खोओगे, और
बहुत कुछ अपने हाथों से गँवाओगे ।
कुछ इस कदर तेज हो गई है रफ्तार जिंदगी की
कि अब किसी को किसी की फ़िक्र हीं नही
किसी को किसी की कदर हीं नहीं ।
जो कदर करे आपकी, बस उसी के सामने सिर झुकाइए
जहाँ कदर ना हो, वहाँ तो बस औपचारिकता निभाइए ।
जब कोई खास, किसी की जिंदगी से दूर चला जाता है
तो वो शख्स, दूसरों की कदर करना सीख जाता है ।
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