रामनवमी शुभकामनाएँ, राम नवमी पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभेच्छा, शुभकामना संदेश हिन्दी में, हैप्पी रामनवमी, Ram Navami Wishes in Hindi
राम जिनका नाम है,
अयोध्या जिनका धाम है;
ऐसे रघुनंदन को हमारा
बारंबार प्रणाम है;
आपको और आपके परिवार को
रामनवमी की शुभ कामनायें।
राम की कृपा नवजीवन है, राम का नित वन्दन है,
राम के आशीष से,
मंगलमय तन-मन है
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
क्रोध को जिसने जीता है,
जिनकी भार्या सीता हैं ।
जो भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण के हैं भ्राता
जिनके चरणों में हैं हनुमंत लला
वो पुरुषोत्तम राम हैं
भक्तो में जिनके प्राण हैं
ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम राम को
कोटि कोटि प्रणाम हैं ।
राम को जीवन का परम सत्य मान,
जीवन पथ पर आगे बढ़ते चलो;
प्रभु राम रहेंगे सदा आपके साथ,
भाग्य में सफलता का प्रभु देंगे यश मान ।
राम नवमी की शुभ कामनायें!
रामनवमी विशेष
राम की तारीफ़ करूँ कैसे,
मेरे शब्दों में इतना ज़ोर नहीं,
सारी दुनिया में जाकर ढूँढ लेना,
मेरे राम जैसा कोई और नहीं!!
हृदय से राम सुमिरन किया तो
आवाज़ हनुमान तक जाएगी,
हनुमान जी ने जो सुन ली हमारी,
तो हर बिगड़ी ही बन जाएगी!!
रामनवमी की शुभकामनायें ।
शतरंज की चालों का खौफ उन्हें होता है ,
जो सियासत करते हैं ।
हम तो अखण्ड ब्रहमाण्ड के राजा
श्री राम के भक्त हैं
न हार की फिक्र करते हैं,
और न जीत का जिक्र करते हैं ।
रामनवमी की शुभकामनायें ।
राम आपके जीवन में प्रकाश लायें ।
राम आपके जीवन को सुंदर बनायें ।
दूर कर अज्ञान का अंधकार,
आपके जीवन में ज्ञान का प्रकाश आये ।
रामनवमी की शुभकामनायें ।
मन राम का मंदिर हैं
यहाँ उसे विराजे रखना
पाप का कोई भाग न होगा
बस राम को थामे रखना
रामनवमी की शुभ कामनायें !
राम नाम का फल है मीठा
कोई चख के देख ले
खुल जाते हैं भाग
कोई पुकार के देख ले ।
रामनवमी की शुभ कामनाएँ ।
जिनके मन में प्रभु श्री राम हैं,
भाग्य में उनके बैकुंठ धाम है
प्रभु के चरणों में जिसने जीवन वार दिया
संसार में उसका ही कल्याण है ।
आपको रामनवमी की बधाई ।
सीता माता का धैर्य,
लक्ष्मण का तेज,
भरत का त्याग
हम सबको सीख देता रहे ।
रामनवमी की शुभ कामनाएँ ।
भगवान श्री राम की आरती
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी॥१॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी॥२॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता॥३॥
करुना सुखसागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता॥४॥
ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै॥५॥
उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥६॥
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा॥७॥
सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा॥८॥
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