समझ पर सुविचार, शायरी
इंसान की समझ सिर्फ इतनी है
जानवर कहो तो नाराज हो जाता है
और
शेर कहो तो खुश हो जाता है।
इंसान न कुछ हँसकर सीखता है,
न कुछ रोकर सीखता है,
जब भी कभी अलग सीखता है तो,
या तो किसी का होकर सीखता है,
या किसी को खोकर सीखता है ।
शाम सूरज को ढलना सिखाती है;
शमा परवाने को जलना सिखाती है;
गिरने वालो को तकलीफ़ तो होती है;
पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है।
अच्छे विकल्प देने पर भी लोग;
प्रायः नहीं बदलते,
लोग प्रायः तभी बदलते हैं;
जब उनके पास कोई विकल्प नहीं होता ।
समझ…ज्ञान से ज्यादा गहरी होती है
बहुत से लोग आपको जानते हैं…..
परंतु कुछ ही आपको समझते हैं ।
कुछ लोगों को इज्जत
रास नहीं आती
जब तक उन जैसा न बन जाओ
उन्हें समझ नहीं आती।
जवाब तो हर बात का दिया जा सकता है
मगर जो रिश्तों की अहमियत न समझ पाया
वो शब्दों को क्या समझेंगे।
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला,
जो मिलता है समझा के चला जाता है।
समझ पर सुविचार
खुद की समझदारी ही अहमियत रखती है,
वरना अर्जुन और दुर्योधन के गुरु एक ही थे ।
सभी कुछ तो हो रहा है
इस तरक्की के जमाने में
मगर यह क्या गज़ब है
आदमी इंसान नहीं होता ।
डूबता है तो पानी को दोष देता है;
गिरता है तो पत्थर को दोष देता है;
इंसान भी बड़ा अजीब है;
कुछ नहीं कर पाता तो किस्मत को दोष देता है।
किसी इंसान की आदत देखनी हो तो उसे इज्जत दो
और फितरत देखनी हो तो उसे आजादी दो।
किसी इंसान की नीयत देखनी हो तो उसे कर्ज दो
और उसके गुण देखने हो तो उस के साथ खाना खाओ।
किसी इंसान का सब्र देखना हो तो उसे हिदायत दे कर देख लो
और उसकी अच्छाई देखनी हो तो उस से सलाह ले लो।
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