हिंदू धर्म में दिवाली का पर्व पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है।
इसमें सबसे पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी, तीसरे दिन दिवाली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और
पांचवें दिन भाई दूज होता है।
दिवाली के पांच दिवसीय त्यौहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। दिवाली के ठीक एक दिन पहले
नरक चतुर्दशी मनाई जाती है जिसका हिन्दुओं में ख़ास महत्व बताया गया है।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन को ही नरक चतुर्दशी या नरक चौदस जिसे
छोटी दिवाली, रूप चौदस, काली चौदस आदि नामों से भी जाना जाता है।
नरक चतुर्दशी : नरकासुर के अत्याचारों से त्रस्त देवता और साधु-संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में पहुंचे ।
नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था. भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को
सारथी बनाया तथा उन्हीं की सहायता से नरकासुर का वध किया ।
अतः इसे नरक चतुर्दशी कहा गया । इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
उनकी पत्नी सत्यभामा के साथ की जाती है।
नरक चतुर्दशी के अन्य नाम और उनके मनाये जाने का कारण
रूप चतुर्दशी : मान्यता के अनुसार, हिरण्यगभ नाम के एक राजा ने राज-पाट छोड़कर तप में विलीन होने का फैसला किया । कई वर्षों तक तपस्या करने की वजह से उनके शरीर में कीड़े पड़ गए । इस बात से दुखी हिरण्यगभ ने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही. नारद मुनि ने राजा से कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के बाद रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा करें. ऐसा करने से फिर से सौन्दर्य की प्राप्ति होगी. राजा ने नारद मुनि के बताये अनुसार विधि-विधान से पूजा कर रूपवान शरीर पुन: प्राप्त किया । तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं ।
रूप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी, चिरचिटा के पत्ते डालकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है।
छोटी दीवाली : यह त्यौहार मुख्य दीपावली से केवल एक दिन पहले आता हैं व इस दिन भी दिवाली की भांति दीये जलाने, पकवान खाने व आतिशबाजी की जाती है, इसलिये इसे छोटी दिवाली का नाम दे दिया गया है। छोटी दिवाली अर्थात बड़ी दिवाली से एक दिन पहले आने वाला पर्व।
शिव चतुर्दशी: यह दिन भगवान शिव का दिन भी होता है इसलिए इसे शिव चतुर्दशी भी कहते हैं।
इस दिन शिवजी की पूजा भी की जाती है।
काली चौदस : बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसके कारण
इस दिन को काली चौदस कहा जाता है। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है।
अन्य देवता जिनकी मान्यता अनुसार पूजन होता है
वामन पूजा : वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे और त्रेता युग के पहले अवतार थे । इस दिन भगवान वामन ने राजा बलि से स्वर्ग छीनकर देवराज इंद्र को देकर उनका शासन पुनर्स्थापित किया था । अत : इस दिन उनकी भी पूजा की जाती है।
यम पूजा : इस दिन को यम के नाम से भी जानते हैं।
इस दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल लोक का राजा बनाकर चिरंजीवी होने के वरदान के साथ ही
यह वरदान भी दिया था कि तेरे राज्य में जो यम को दीपदान देगा उसको अकाल मृत्यु नहीं होगी ।
उसके पितर कभी नरक में नहीं होंगे।
हनुमान जयंती : कुछ विद्वानों के अनुसार इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था
इसलिए इस दिन हनुमानजी की पूजा भी की जाती है। कुछ और प्रमाणों के आधार पर
हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा के दिन भी माना जाता है।
नरक चतुर्दशी पर्व पर क्या करें और क्या न करें, आइये जानते हैं –
नरक चौदस पर मान्यताओं के अनुसार जो काम आपको करना चाहिए –
- मान्यतानुसार इस पर्व की रात घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य पूरे घर में एक दीया जलाकर घुमाता है और
फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है। इस दीये को यम दीया कहा जाता है।
इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दीये को
पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं। - एक अन्य मान्यता के अनुसार लक्ष्मीजी की बड़ी बहिन दरिद्रा कूड़ा, कर्कट, गंदगी आदि दरिद्रता की निशानी मानी जाती हैं।
तभी घर के बाहर कूड़ा फेंकने के स्थान पर दीपक लगाया जाता है। सालभर जो कूड़ा बाहर निकालते हैं,
इससे दरिद्रता का सम्मानपूर्वक घर से चली जाती है और
लक्ष्मी आगमन से पहले वाली शाम को देवी लक्ष्मी के स्वागत में घर के द्वार के आगे
आटे का दीपक बनाकर चार बत्तियों का दीपक जलाकर रखते हैं। - आज के दिन नरक चतुर्दशी पर घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक में कौड़ी या फिर
1 रूपये का सिक्का रखकर जलाकर यमराज से अकाल मृत्यु से बचने के लिए पूजा करें । - इस दिन घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीया जलाना चाहिए और
घर के भीतर और बाहर नाली के आस-पास भी दीया प्रज्ज्वलित करके रखना चाहिए।
यमराज से अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वस्थ्य जीवन की कामना करते हैं।
नरक चतुर्दशी पर भूलकर न करें, यह 07 काम
- ऐसा माना जाता है कि इस दिन जीव जंतुओं को हानि पहुंचाने और मांसाहार करने से,
मदिरा सेवन से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं। - इस दिन भूलकर भी देर से सोकर नहीं उठना चाहिए। ऐसा करने से लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है
और घर में दरिद्रता आती है। - इस दिन कभी भी घर को पूरी तरह से बंद करके नहीं जाना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन घर के मुख्य द्वार से माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और
बंद घर से वो वापस लौट जाती हैं। - नरक चतुर्दशी के दिन भूलकर भी झाड़ू को पैर न मारें और झाड़ू को घर से न फेकें।
- इस दिन घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गन्दगी इकट्ठी नहीं करनी चाहिए।
इसे यम की दिशा माना जाता है और इसे गंदा रखने से यमराज नाराज हो जाते हैं। - नरक चतुर्दशी के दिन कभी भी तेल का दान नहीं करना चाहिए। इससे घर की लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं।
- नरक चतुर्दशी के दिन झगड़ा नहीं करना चाहिए ।
ऐसा करने से घर में हमेशा नकारात्मक माहौल बना रहता है ।