अपनों पर सुविचार, अपनों पर स्टेटस इन हिंदी, अपनों पर शायरी
अपनों को हमेशा अपना होने का अहसास दिलाओ
वरना वक़्त आपके अपनों को, आपके बिना जीना सिखा देगा ।
किसी ने क्या खूब लिखा है
वक्त निकालकर बातें कर लिया करो अपनों से
अगर अपने ही न रहेंगे तो वक़्त का क्या करोगे ।
अपनाने के लिए हजार खूबियाॅ भी कम हैं
और छोड़ने के लिए एक कमी ही काफी है।
“चाय” हो या “चाह”
“रंग” एकदम “पक्का” होना चाहिए..
“फिक्र” हो या “ज़िक्र” “रिश्तों” में “अपनापन” होना चाहिए ।
बुरा वक्त अपनों की पहचान करवाता है
अपनों के साथ समय का पता नहीं चलता पर
समय के साथ अपनों का पता ज़रूर चल जाता है ।
ज़िन्दगी के बुरे वक़्त में ही अपनों में छिपे बेगानों
और बेगानों में छिपे अपनों की पहचान होती है ।
चाहे अपने हो या पराये, वो हाथ बहुत अनमोल है साहब
जो गिरते वक़्त किसी को संभाल लें ।
अपनों की कोई बात बुरी लगे तो चुप हो जाओ,
यदि वे तुम्हारे अपने हैं तो समझ जाएंगे यदि नहीं समझे तो
तुम समझ जाना कि वो तुम्हारे अपने थे ही नहीं ।
अपनापन छलके जिसकी बातों में,
सिर्फ कुछ ही लोग होते हैं ऐसे लाखों में ।
चाय हो या चाह रंग एकदम पक्का होना चाहिए ।
फ्रिक हो या जिक्र, रिश्तों में अपनापन होना चाहिए ।
ना रख उम्मीदे वफ़ा किसी परिंदे से
जब पर निकल आते हैं तो अपने ही आशियाना भूल जाते हैं ।
मोती महंगे होते हैं जो गवाएं नहीं जाते,
अपने सिर्फ अपने होते हैं जो चाहकर भी भुलाए नहीं जाते ।
अपनापन छलके जिसकी बातों से
सिर्फ कुछ लोग ही होते हैं लाखों में ।
जुड़ना, बड़ी बात नहीं
जुड़े रहना. बड़ी बात होती है ।
जिसके साथ बात करने से ही खुशी दोगुनी और दुख आधा रह जाये,
वो ही अपना है, बाकी तो बस दुनिया है ।
दुनिया में कोई भी चीज़ अपने आपके लिए नहीं बनी है।
दुनिया में
कोई भी चीज़ अपने आपके लिए
नहीं बनी है।
जैसे: दरिया
खुद अपना पानी नहीं पीता।
पेड़ –
खुद अपना फल नहीं खाते।
सूरज –
अपने लिए हर रात नहीं देता।
फूल –
अपनी खुशबु
अपने लिए नहीं बिखेरते।
बिना कहे जो सब कुछ कह जाते हैं,
बिना कसूर के जो सब कुछ सह जाते हैं
दूर रह कर भी अपना फर्ज निभाते हैं
वही रिश्ते सच में अपने कहलाते हैं ।
इंसान सब भूल जाता है पर वो ज़ख्म नहीं भूल पाता
जो उसके अपने उसे देते हैं ।
किसी से अपने जैसे होने की उम्मीद मत रखिए
क्योंकि आप अपने सीधे हाथ में किसी का सीधा हाथ पकड़ कर
कभी नहीं चल सकते
किसी के साथ चलने के लिए उसका उल्टा हाथ ही पकड़ना पड़ता है
तभी साथ चला जा सकता है ।
यही जीवन है ।
अपनों से उतना रूठो कि आपकी ‘बात‘ और
सामने वाले की ‘इज्जत’ बरकरार रहे ।
अपनों पर सुविचार – दौलत जो अपनों से चाहते हैं
प्यार – परवाह – शरारत और थोड़ा सा समय,
यही वो दौलत है, जो अक्सर हम हमारे अपनों से चाहते हैं ।
“ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो,
ना ही तुम अपने कंधे पर सर
रखकर रो सकते हो !
एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है ।
इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से ।
रेगिस्तान भी हरे हो जाते हैं
जब अपने साथ अपने खड़े हो जाते हैं ।
हँस तो हम सबके साथ लेते हैं पर
रोया सिर्फ अपनों के सामने ही जाता है ।
इंसान कभी स्वयं हिम्मत नहीं हारता वह,
हिम्मत तब हारता है जब उसके अपने साथ छोड़ जाते हैं ।
दर्द सदा अपने ही देते हैं वरना गैरों को तो पता ही नहीं होता कि
हमें तकलीफ़ किस बात से होती है ।
रोग अपनी देह में पैदा होकर भी हानि पहुंचाता है और
औषधि वन में पैदा होकर भी हमारा लाभ ही करती है।
हित चाहने वाला पराया भी अपना है और
अहित करने वाला अपना भी पराया है।
अपनो की यादें खुशबू की तरह होती हैं,
चाहे कितनी भी खिड़की दरवाजे बन्द कर लो
हवा के झोंके के साथ अन्दर आ ही जाती हैं ।
होश का पानी छिड़को मदहोशी की आँखों पर,
अपनों से ना उलझो गैरों की बातों पर….!
अपनों पर सुविचार – अपना बनाना एक हुनर
किसी को अपना बनाना
हुनर ही सही
किसी का बन के रहना, कमाल होता है ।
रिश्ते निभाने के लिए बुद्धि नहीं, दिल की शुद्धि होनी चाहिये
सत्य कहो, स्पष्ट कहो, सम्मुख कहो, जो अपना हुआ तो समझेगा,
जो पराया हुआ तो छूटेगा ।
अपनों पर भी उतना ही विश्वास रखो, जितना दवाईयों पर रखते हो,
बेशक थोड़े कड़वे होंगे लेकिन आपके फायदे के लिए होंगे ।
सुख चाहते हो तो रात में जागना नहीं, शांति चाहते हो तो दिन में सोना नहीं,
सम्मान चाहते हो व्यर्थ बोलना नहीं, प्यार चाहते हो तो अपनों को छोड़ना नहीं।
कुछ लोग वक़्त गुजारने के लिए अपने बन जाते हैं और
कुछ को हम अपना बना कर वक़्त गुज़ार लेते हैं ।
अपनों पर सुविचार – अजीब दौड़ है जिंदगी
एक अजीब दौड़ है ज़िन्दगी जीत जाओ तो
अपने पीछे रह जाते हैं और हार जाओ तो अपने पीछे छोड़ जाते हैं ।
जिनके पास अपने हैं, वो अपनों से झगड़ते हैं
जिनका कोई नहीं अपना, वो अपनों को तरसते हैं ।
थमती नहीं, जिंदगी कभी, किसी के बिना
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना ।
जब दौलत आती है तो हम अपनों को भूल जाते हैं
जब मुसीबत आती है तो हम अपनों को याद करते हैं ।
किसी को अपना बनाने के लिए हमारी सब खूबियां भी
कम पड़ जाती हैं और किसी को खोने के लिए हमारी एक खामी ही काफी है।
इलाईची के दानों सा, मुक़द्दर है अपना,
महक उतनी ही बिखरती गई, जितने पिसते गए,
कभी अपने लिये, कभी अपनों के लिये ।
दर्द तो वही देते हैं जिन्हें आप अपना होने का हक देते हैं
वरना गैर तो हल्का सा धक्का लगने पर भी माफी मांग लिया करते हैं ।
कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,
पर मैं बेईमान नहीं।
मैं सबको अपना मानता हूँ,
सोचता हूँ फायदा या नुकसान नहीं।
एक शौक है शान से जीने का,
कोई और मुझमें गुमान नहीं।
छोड़ दूँ बुरे वक़्त में अपनों का साथ,
वैसा तो मैं इंसान नहीं।
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