बुलंदी पर शायरी, स्टेटस, अनमोल वचन, मैसेज
चुनिंदा बुलंदी शायरी
बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखो
परिंदे बताते हैं कि आसमान में ठिकाने नहीं होते।
बुलंदी पर अपनी इन्सान क्यों इतना फक्र करता है,
पतंग आसमान में आख़िर कब तलक रहता है ।
खूब हौसला बढ़ाया आँधियों ने धूल का;
मगर दो बूंद बारिश ने औकात बता दी ।
जो दुनिया को देखने का अलग नजर रखता है,
वही बुलंदियों को छूने का सही हुनर रखता है ।
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है,
भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है ।
शोहरत की बुलंदी – पल भर का तमाशा
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है ।
बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।
बुलंदियों को पाने की ख्वाहिश तो बहुत थी,
लेकिन दूसरों को रौदने का हुनर कहाँ से लाता ।
ना इतराओ इतना, बुलंदियों को छूकर,
वक्त के सिकंदर पहले भी कई हुए,
जहाँ होते थे कभी शहंशाहो के महल
वही देखे है हमने उनके मकबरे बने हुए ।
बुलंदी पर शायरी – वक्त के सिकंदर पहले भी हुए हैं
छुए तू हर बुलंदी को ऐसा हुनर तू खास रखना
पाँव टिके हों सदा जमीं पर, भले नज़रों में आकाश रखना।
पाना है जो मुकाम वो मुकाम अभी बाकी है,
अभी तो आए हैं जमीन पर, अभी आसमान की उड़ान बाकी है ,
अभी तो सिर्फ सुना है लोगों ने मेरा नाम,
अब इस नाम की पहचान बनाना बाकी है ।
बुलंदी पर शायरी – किसी मुकाम को हासिल करना बड़ी बात नहीं
किसी मुकाम को हासिल करना;
कोई बड़ी बात नहीं है,
उस मुकाम पर ठहरना बड़ी बात होती है।
कामयाबी हासिल करना बड़ी बात नहीं है
उसे बरक़रार रखना बड़ी बात होती है
चुनौतियों के इस दौर में सब बुलंदियों को छूने में लगे हैं
बुलंदियों को छूना बड़ी बात नहीं है
बुलंदियों पर टिकना बड़ी बात होती है।
खोल दो पंख मेरे अभी और उड़ान बाकी है
ज़मी नहीं है मंज़िल मेरी अभी तो पूरा आसमान बाक़ी है,
लहरों की ख़ामोशी को समन्दर की बेबसी न समझो
जितनी गहराई अंदर है बाहर उतना तूफ़ान बाक़ी है ।
बुलंदियों का गुमां जो करने लगता है
मुकद्दर भी उसका पलटने लगता है
करे तो कोई क्या करे गिला किसी से यहाँ
धूप में साया भी सिमटने लगता है
रिश्तों में अगर दूरियाँ बढ़ जायें तो
घर दीवार भी बँटने लगता है ।