बुराई पर सुविचार (Thoughts on evil in Hindi)
बुराई सिर्फ इसलिए नहीं पनपती कि;
बुरा करने वाले लोग बढ़ गये हैं;
बल्कि इसलिए भी बढ़ती है कि;
सहन करने वाले लोग बढ़ गये हैं ।
माना दुनिया बुरी है;
सब जगह धोखा है,
लेकिन हम तो अच्छे बने
हमें किसने रोका है ।
बुराई की आदत
कभी हार नही मानती,
ये बुराई की आदत है,
और जो कभी हारती ही नही
वो अच्छाई की ताकत है ।
जो आपकी बुराई करते हैं उन्हें करने दो क्योंकि बुराई वही करते हैं जो बराबरी नहीं कर सकते ।
आप वही बने रहें, जो आप हैं –
आप वही बने रहें;
जो आप हैं;
और वही कहें;
जैसा आप महसूस करते हैं;
क्योंकि जिन्हें बुरा लगता है;
उनकी कोई अहमियत नहीं;
और जिनकी अहमियत है,
वे बुरा नहीं मानेंगे ।
बुराई ढूँढ़ने वाला व्यक्ति
हमेशा बुराई ढूँढ़ने वाला व्यक्ति;
उस मक्खी की तरह होता है;
जो शुद्ध और स्वच्छ जगह छोड़कर;
गंदगी में ही रमती है ।
अच्छाइयों का एक-एक तिनका चुन-चुनकर;
जीवन भवन का निर्माण होता है,
पर बुराई का एक हलका झोंका ही;
उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है।
अच्छाई का फायदा मत उठाओ
किसी की अच्छाई का
इतना फायदा मत उठाओ कि
वह बुरा बनने के लिए मजबूर हो जाए ।
निकम्मों की जिंदगी बुराई खोजने में ख़त्म होती है
गलती उसी से होती है;
जो काम करता है;
निकम्मों की जिंदगी तो;
दूसरों की बुराई खोजने में ही;
ख़त्म हो जाती है।
ताक़त की जरुरत तभी पड़ती है;
जब किसी का बुरा करना हो,
वर्ना दुनिया में सब कुछ पाने के लिए;
प्रेम ही काफी है ।
कानून की जरूरत बुरे लोगों के लिए है,
क्योंकि सभ्य लोग तो शर्म से ही मर जाते हैं ।
लोग बुरे नहीं होते;
बस आपके मतलब के नहीं होते;
इसलिए बुरे लगते हैं ।
लोगों से बुरा बर्ताव उस तरह मत करें;
जिस तरह वो बुरे हैं;
बल्कि;
लोगों से अच्छा बर्ताव उस तरह से करें;
जिस तरह आप अच्छे हैं ।
Thoughts on evil in Hindi – बुराई पर सुविचार
जैसा भी हूँ अच्छा या बुरा अपने लिये हूँ,
मैं खुद को नही देखता औरों की नजर से।
जो हमें समझ नहीं सका उसे हक़ है,
वो मुझे बुरा ही समझे ।
इंसान बुरा
तब बनता है
जब वो खुद को,
दूसरों से ज्यादा
अच्छा समझने लगता है ।
उस लम्हे को बुरा मत कहो;
जो आपको ठोकर पहुँचाता है;
बल्कि उस लम्हे की कदर करो;
क्योंकि वो;
आपको जीने का अंदाज सिखाता है ।
उड़ने में बुराई नहीं है;
आप भी उड़ें;
पर वहाँ तक ही:
जहाँ से जमीन साफ-साफ:
दिखाई दे ।
बुराई करना रोमिंग की तरह है;
करो तो भी;
चार्ज लगता है और;
सुनो तो भी;
चार्ज लगता है ;
और;
नेकी करना;
LIC की तरह है;
जिंदगी के साथ भी;
जिंदगी के बाद भी ।
इंसान की अच्छाई पर,
सब खामोश रहते हैं,
चर्चा अगर उसकी बुराई पर हो,
तो गूँगे भी बोल पड़ते हैं ।
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