जीवन की 3 बातें – तीन बातें जीवन से जुड़ी हुई जिन्हें आपको अवश्य पढ़ना चाहिए । यदि इन बातों का ध्यान रखा जाए तो बुरे समय से बचा जा सकता है।
1- गलतफहमी दूर न की जाएँ तो वो नफरत में बदल जाती है ।
2- जो शख्स आपसे दूसरों की कमियाँ बयान करता है, वो दूसरों से निश्चित आपकी बुराई करता होगा।
3- पानी जैसे बनो, जो अपना रास्ता खुद बनाता है, पत्थर जैसे नहीं, जो अपना रास्ता खुद रोकता है ।
जीवन की 3 बातें
3 चीज़ें किस्मत वालों को ही मिलती हैं :-
सच्चा प्यार
सच्चा यार और;
अपने काम से काम रखने वाले रिश्तेदार ।
3 चीज़ें
कोई चुरा नहीं सकता –
अकल, चरित्र और हुनर ।
3 बातें कभी न भूलें
प्रतिज्ञा करके;
कर्ज़ लेकर;
और विश्वास देकर ।
3 चीज़ें जो कभी निश्चित नहीं होती
सपने, सफलता और भाग्य ।
3 चीज़ें सोच समझ कर उठाओ
कदम, कसम और कलम
3 Things in life
1- काबू में रखें – खाना खाते समय पेट को ।
2- काबू में रखें – किसी के घर जाएँ तो आँखों को ।
3- काबू में रखें – महफिल में हों तो ज़बान को ।
1- भूल जाएँ – अपनी नेकियों को ।
2- भूल जाएँ – दूसरों की गलतियों को ।
3- भूल जाएँ – कड़वे अतीत को ।
1- छोड़ दें – दूसरों को नीचा दिखाना ।
2- छोड़ दें – दूसरों की चुगली करना ।
3- छोड़ दें – दूसरों की सफलता से जलना ।
स्वयं विचार कीजिये (जीवन की 3 बातें) :-
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी मौन होना सब से बेहतर है।
2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी सफेद रंग सब से बेहतर है।
3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
1- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।
2- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।
3- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।
3 बातें छोड़ दें
सोच जिसने न केवल हमें तनाव देकर ढेर सारी बीमारी दी बल्कि समाज और देश का काफी अहित किया ।
अधिकांश लोगों की सोच –
1. सब कुछ अभी होना चाहिए ।
2. दूसरों के आचार विचार, देशकाल और समाज स्वयं की विचार धारा के अनुरूप होना चाहिए ।
3.सब कुछ मेरी इच्छानुसार मिल जाए ।
विचार कीजिए
😲 क्या राजा महाराजाओं ने यही सोच रखकर हमें 1000 साल की गुलामी में नहीं धकेला ?
😲 क्या इसी सोच ने समाज, परिवार को विघटित नहीं किया और हम सभी में एकता नहीं बनने दी ?
आज भी हम में से कई
मंहगाई पर रो रहे हैं और किसी को कोस रहे हैं
पक्ष-विपक्ष में पड़कर झगड़ रहे हैं,
मेरा विरोधी आगे क्यों बढ़ रहा है, उसका अहित कैसे करूं?, सबसे बड़ा बन जाऊं,
मेरी मर्जी, मेरी सत्ता चले …..…
इसी तरह की न जाने कितनी बाते लेकर घुटन में जी रहे हैं ।
सोचिए क्या आप ईश्वर हैं, जो आप दुनिया को अपने अनुसार चलाना चाहते हैं ।
यदि आप ईश्वर को मानते हैं और इस तरह की सोच में जकड़े हैं तो
निश्चित तौर पर आपकी ईश्वर में आस्था कम है, आपका ईश्वर पर पूर्ण विश्वास नहीं है ।
ईश्वर के सानिध्य में जाइए, जो कहता है कि कर्म करो, सब कुछ सही और सही समय पर होगा ।
यदि ईश्वर को नहीं मानते हैं तब भी श्रीकृष्ण को साथ लेकर अर्जुन बनना होगा,
उठिए, देर मत करिए मिटाइए अन्याय, अत्याचार, ऊंच-नीच, भेदभाव ।
नहीं कर सकते हैं तो
दूसरों को सम्मान दें, दूसरों की सोच पर विचलित न हों, अपनी सोच थोपने के लिए तर्क-वितर्क न करें । जहां तक आप बदल सकते हैं, उस सीमा को जानिए ।
निर्विकार बनिए ।
अपना कर्म पूर्ण लगन से करें और परिणाम की चिंता न करें, उसे ईश्वर पर छोड़ें, वो जो करना चाहता है, वही आपके लिए सही है ।