हौसला शायरी, हौसला बढ़ाने वाली शायरी, हौसले बुलंद शायरी
कमाल का हौसला दिया है
रब ने हम इंसानों को
वाक़िफ़ हम अगले पल से नहीं
और वादे कर लेते हैं जन्मों के।
ये राहें ले ही जायँगी मंजिल तक हौसला रखो
कभी सुना है कि अंधेरों ने
सबेरा होने नहीं दिया ।
चलना सभी को आता है पर,
मंजिल तक पहुँचने का हौसला रखने वाला ही
एक अच्छा मुसाफिर बन सकता है ।
हालात से टकराने का जज्बा रखो,
मुश्किलों में मुस्कुराने का जज्बा रखो,
अगर रूठ जाए तुम्हारे दिल का रेगिस्तान,
तो रेत की दीवार बनाने का जज्बा रखो।
जो रखते हैं हौसला आसमान छूने का
तालीमें नही दी जाती परिंदों को
वो खुद ही तय करते है ऊंचाई आसमानों की
जो रखते हैं हौसला आसमान छूने का
वो परवाह नही करते जमीन पे गिर जाने की।
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूँढ़ ही लेते है अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते ।
जब जब तुम्हारा हौसला आसमान में जायेगा,
सावधान, तब तब कोई पंख काटने जरूर आयेगा ।
हिम्मत न हार कभी,
हौसला रख अपनी मेहनत पर,
ये कामयाबी का शिखर
भले ही कुछ ऊँचा है
अगर जज़्बा है पहुँचने का तो
मिलता है हर कीमत पर ।
बुलंदियाँ खुद ही तलाश लेगी तुम्हें,
बस मौका न छोड़ना, मुश्किलों में मुस्कुराने का।
असफलता के बाद हौसला रखना आसान है पर
सफलता के बाद नम्रता रखना उतना ही कठिन है ।
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है ।
उठो तो ऐसे उठो कि फक्र हो बुलंदी को
झुको तो ऐसे झुको कि वंदगी भी नाज़ करे।
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